प्रेम चदरिया
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प्रीत के धागे से
विश्वास के ताने से
त्याग की भरनी से
मैंने भी बुनी है एक प्रेम चदरिया
जिस पर काढ़े हैं इंद्रधनुषी भावों के बेल-बूटे.
पर किस देवता को अर्पित करूं
अपनी यह प्रेम चदरिया ?

भगवान राम ने भी राजधर्म निभाया
पर पति- धर्म और पिता- धर्म को बिसराया
पति के संग- संग वन- वन भटकी जनक दुलारी
ऐसी गर्भवती प्रिया को एकाकी जंगल पठाया
भगवान शिव ने भी पति के कथन पर प्रश्न उठाने वाली
सत्य का स्वयं परीक्षण करके ही उस सच को स्वीकाराने वाली
अपनी जीवन संगिनी सती का परित्याग किया।

मैं इन देवताओं को कदापि अर्पित नहीं करुँगी
अपनी यह प्रेम चदरिया।

आओ होरी
आओ हलकू
तुम्हें अर्पित
मेरी यह प्रेम चदरिया

Smita Gupta

Assi. prof.(Hindi)
M. Ed. , Hindi Patrkarita
smita78gupta@gmail.com

✍️ स्मिता गुप्ता