हिंदी साहित्य जगत में प्रेमचंद नाम एक ऐसी किरण है, जिसने अपनी लेखनी से लोगों के दिलों को छू लिया। बनारस में जन्मे इस साहित्यकार ने अपनी कहानियों और उपन्यासों में समाज की हर उस पीड़ा को उकेरा जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है।
प्रेमचंद की लेखनी से निकली हर पंक्ति आम आदमी की भावनाओं को समेटे हुए थी। उनकी कहानियों में जहां गरीब-अमीर के बीच का अंतर साफ झलकता है, वहीं जातिगत भेदभाव और समाज में व्याप्त कुरीतियों पर भी उन्होंने बेबाकी से लिखा। सेवासदन, गबन, गोदान जैसे उपन्यासों ने ग्रामीण और शहरी जीवन की तस्वीर साकार की।
वहीं पंचपरमेश्वर, बूढ़ी काकी जैसी कहानियों में उन्होंने घरेलू मामलों और रिश्तों की बारीकियों को भी उजागर किया। प्रेमचंद ने न सिर्फ हिंदी बल्कि उर्दू में भी लिखा, जिससे उनकी रचनाएं दोनों भाषाओं के पाठकों तक पहुंचीं। आज भी उनकी लेखनी हर उम्र के पाठक के लिए एक अनमोल खजाना है।