छठ पूजा(Chhath Puja): धार्मिकता और सांस्कृतिक धरोहर

भारतीय सभ्यता और धर्म में महत्वपूर्ण हिस्सा है त्योहारों के आयोजन का। यहाँ, हम एक ऐसे त्योहार के बारे में बात कर रहे हैं जो उत्तर भारत के क्षेत्रों में बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है और जिसका महत्व वहां के लोगों के लिए अत्यधिक है – ‘छठ पूजा’। इस लेख में, हम छठ पूजा की महत्वपूर्ण बातें, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व, तथ्य, और इसके पीछे छिपी महत्वपूर्ण परंपराओं की चर्चा करेंगे।

भारतीय संस्कृति में सूर्य देव की पूजा का एक महत्वपूर्ण स्थान है, और सूर्य देव की ही पूजा का एक त्यौहार है छठ पूजा जो दीपावली के छह दिन के बाद आरम्भ होता ह। यह आस्था का महापर्व छठ कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्टी तिथि को मनाया जाता है। यह त्यौहार भारत में बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है लेकिन उत्तर भारत में इसकी छठा ही निराली होती ह। यह पूजा षष्ठी माता और सूर्य भगवन को समर्पित होती है।

छठ 2023 डेट (Chhath Puja 2023 Date)

इस साल छठ का त्योहार 17 नवंबर 2023 से 20 नवंबर 2023 तक मनाया जाएगा. छठ का पर्व चार दिन तक चलता है. नहाय खाय से इसकी शुरुआत होती है, फिर दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य और चौथे दिन उगते सूर्य को जल चढ़ाया जाता है. छठ पूजा 19 नवंबर 2023 को है.

कैलेंडर के अनुसार छठ पूजा (Chhath puja 2023 Calendar)

  • नहाय खाय – 17 नवंबर 2023
  • खरना – 18 नवंबर 2023
  • संध्या अर्घ्य – 19 नवंबर 2023
  • उगते सूर्य को अर्घ्य – 20 नवंबर 2023

Chhath Puja 2023

नहाय खाय: छठ पूजा(Chhath Puja)

छठ पूजा का आंरभ होता है नहाय खाय से, इस दिन व्रती सुबह नहा कर पवित्र मन से आपने घर पर अरवा चावल, चना दाल, लौकी की सब्जी से बना हुआ भोजन ग्रहण करते है और इसी के साथ आस्था के महा पर्व का आंरभ होता है।

खरना: छठ पूजा(Chhath Puja)

छठ पूजा का आयोजन अधिकांशत: व्रती के परिवार द्वारा किया जाता है, जिनमें सभी परिवार के सदस्य शामिल होते हैं। इस त्यौहार को परिवार के सभी सदस्य एक साथ आत्मीयता और खुशी-खुशी मनाते हैं। खरना के दिन व्रती सारे दिन निराजल उपवास के बाद शाम में गुड़, चावल और गाय के दूध से बना हुआ खीर, आटे की रोटी और फल में केले का प्रसाद बना के भगवान को अर्पित करने के पश्चात स्वयं ग्रहण करते है।

संध्या अर्घ्य: छठ पूजा(Chhath Puja)

कार्तिक शुक्ल षष्ठी को छठी मैया और सूर्य देव की पूजा-उपासना होती है। इस दिन डूबते सूर्य को नदी अथवा गंगा किनारे जल में खडे होकर अर्घ्य दिया जाता है।

उगते सूर्य को अर्घ्य : छठ पूजा(Chhath Puja)

चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और व्रत का पारण का होता है।

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