गीतों भरी एक प्रेम कहानी – By Smita Gupta
सोलहवां साल। यह सोलहवां साल जब किसी के जीवन में आता है, तो उस व्यक्ति की काया ही नहीं बदलती है, बल्कि उसका मन भी बदलने लगता है। मनुष्य मनोदैहिक प्राणी जो ठहरा। यौवन तन की देहरी लांघकर जब हमारे मन में प्रवेश करता है, तो हमारी गति- मति बदल जाती है। हमारे तन- मन पर वसंत ऋतु के जादू- सा छा जाता है। तन अंगड़ाई लेने लगता है, तो मन सतरंगी सपने देखने लगता है।
यौवन की दहलीज पर पांव धरते ही पायल का मन भी सुहाने सपने देखने लगा था। हालांकि उसे सपने देखने के लिए विवश किया था, उस युवक ने जो हर दिन छुप- छुपकर उसके रूप सौंदर्य को निहारा करता था। लेकिन, जब पायल की नज़र उस पर पड़ती, तो वह झट से अपनी निगाहें फेर लेता था। उस जगह से हट जाता था। कहीं और चला जाता था। मगर उस युवक की प्रेम दृष्टि तो पायल के हृदय में उतरती चली गई और उसका मन गा उठा –
“आंखियों के झरोखे से मैने देखा जो सांवरे
तुम दूर नज़र आए बहुत दूर नज़र आए ”
अब पायल उससे बातें करने लगी। वह बहुत बातूनी थी भी। लेकिन, उसका प्रेमी तो बस उसे चुपचाप देखता रहता था। वह तो पायल के आसपास रहना और उसे निहारना चाहता था। इसीलिए उसके होंठ हमेशा खामोश रहते थे। उसकी ख़ामोशी और नजरों की उदासी को देखकर पायल को लगता था जैसे उस इंसान के हृदय में बहुत दर्द छुपा है । पायल हमेशा उसे खुश रखने का प्रयास भी करने लगी थी।
“हर खुशी हो वहां तू जहां भी रहे
जिंदगी हो वहां तू जहां भी रहे”
उस इंसान को हृदय से सच्चा और पवित्र प्यार देने की कोशिश में पायल ने सारी दुनिया को अपना बैरी भी बना लिया । उसके सुख से सुखी और उसके दुख से दुखी होने वाली पायल यह ना समझ सकी कि समाज उनके प्यार को स्वीकार नहीं करेगा । पायल सोचती थी कि हम अपने सच्चे प्यार के सहारे जीवन की हर कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं।
“यूं ही कट जाएगा सफर साथ चलने से
ये मंजिल आएगी नजर, साथ चलने से”
शुरू शुरू में तो सब ठीक रहा । इन दोनों ने मिलकर प्यार के बहुत से गीत गाए । लेकिन पायल को जिस प्रेमी अपने आप से भी ज्यादा विश्वास था । उसमें समाज का सामना करने का साहस न था । जब इसके प्यार का फूल खिल कर खुशबू बिखेरने लगा, तब वह पायल से एक दिन बोला-
“तुम्हारे कारण हम कुछ कर नहीं सके, तुम भी बर्बाद हो गया । सब तुम्हारा किया हुआ है, अब तुम समझो, सब भूल जाओ ।”
अब तो पायल के आंसू थमने नाम ही नहीं ले रहे थे । उसके होंठ यह गीत गुनगुना रहे थे ।
“ हम भूल गए रे हर बात , मगर तेरा प्यार नहीं भूले
क्या क्या हुआ दिल के साथ, मगर तेरा प्यार नहीं भूले।”
अब पायल का पढ़ना लिखना, कहीं आना-जाना, दोस्तों से मिलना सब बंद हो गया। । जिस इंसान के सुख के लिए पायल ने उसके सारे दुख अपने आंचल में भर लिया था । वही पायल को अपने दुख और बर्बादी का कारण बताकर चला गया । पायल खुद को संभाल नहीं पा रही थी। बुझते हुए दीये की लौ की तरह, अपने मन में टिमटिमाते हुई उम्मीद को जगाते हुए वो गाने लगती थी –
“जुदा अपने दिलवर से होने लगी है
तेरी मोहब्बत रोने लगी है, सनम तू आके मिल….”
लेकिन, अब वो था कहां, जो पायल की पुकार को सुनता। उसके दर्द को समझता। कुछ समय के बाद रोते-रोते पायल की आंखों के आंसू सूख गए। हालांकि कई साल उसके बेचैनी और तकलीफ में बीते। फिर भी पायल ने कहा –
“सोलह बरस की बाली उमर को सलाम,
मेरे प्यार की पहली नजर को सलाम…”
जीवन रूपी सागर को मथने से किसी के हिस्से में अमृत आता है तो किसी के हिस्से में विष । ऐसे ही प्यार के सागर को मथकर पायल ने विष पाया था । पता नहीं अमृत पाने वाला पायल से जीता था कि हार गया था। लेकिन, पायल खुद को हारी महसूस कर रही थी। उसकी मोहब्बत की दुनिया उजड़ चुकी थी।
” दो रोज में वो प्यार का आलम बदल गया
बर्बाद करने आया था बर्बाद कर गया ..“

Smita Gupta
Assi. prof.(Hindi)
M. Ed. , Hindi Patrkarita
smita78gupta@gmail.com