भारतीय समाज में धार्मिक और पारंपरिक त्योहार का एक विशेष स्थान है, और इसका एक हिस्सा व्रत और पूजा उपसना हैं। ‘Jitiya Vrat’ एक ऐसा प्रमुख त्योहार है जो महिलाएं संतान प्राप्ति और उनकी मंगल कामना के लिए निराजल व्रत रखती हैं। हम जानेंगे कि ‘जीतिया व्रत’ का महत्व क्या है, इसके पारंपरिक रीति-रिवाज़ क्या हैं, और इसके 2023 में मनाने के तरीके क्या हो सकते हैं।

‘जीतिया व्रत’ का महत्व

अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ‘Jivitputrika व्रत’ का मनाया जाता है। इसे ‘जिउतिया’ और ‘Jitiya Vrat’ भी कहा जाता है। यह त्योहार विशेष रूप उत्तर भारत के बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में मनाया जाता है। इस व्रत का मुख्य उद्देश्य पुत्रों की उज्जवल भविष्य और लम्बी आयु के लिए होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस व्रत को धार्मिक विधियों के साथ मनाने पर पुत्रों को दीर्घायु होने का आशीर्वाद मिलता है, और उनके जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

Jivitputrika or Jitiya Vrat 2023

Jitiya Vrat: 2023 में जितिया का शुभ मुहूर्त कब है?

पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 6 अक्टूबर को प्रातः काल 06 बजकर 34 मिनट से शुरू होकर अगले दिन, यानी 7 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी. सनातन धर्म में उदया तिथि को माना जाता है, इसलिए 6 अक्टूबर को ‘जितिया व्रत’ मनाया जाएगा. ‘जितिया व्रत’ का पारण 7 अक्टूबर 2023 को सुबह 08 बजकर 10 मिनट के बाद किया जा सकेगा.

‘जीतिया व्रत’ की रिति-रिवाज़

इस दिन माताएं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं. इसके बाद मड़वे की रोटी, दही, चूड़ा, चीनी और अन्य चीज तैयार प्रसाद को देवी देवताओं और अपने पूर्वजों को अर्पित किया जाता है. इसके बाद पूरा परिवार इस प्रसाद को ग्रहण करता है. प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रत करने वाली महिलाएं अगले 24 घंटे तक किसी भी तरीके का फल फूल या जल ग्रहण नहीं करती हैं. व्रत वाले दिन शाम के समय माताएं जिउतिया बंधन वाली कथाएं सुनती हैं. इसीलिए इस व्रत को काफी कठिन व्रत भी माना जाता है.

समापन

‘जीतिया व्रत’ एक ऐसा धार्मिक पर्व है जिसमें माता की प्रार्थना और पुत्र की लम्बी आयु की कामना की जाती है। यह व्रत हमारे समाज में मातृशक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है और पुत्र की सुरक्षा और उसकी लम्बी आयु के लिए एक महत्वपूर्ण तरीका है।

आपका ‘जीतिया व्रत 2023’ के साथ होने वाले धार्मिक और पारंपरिक त्योहार को जनें और मनाएं, और अपने परिवार के साथ इस महत्वपूर्ण परंपरा का समर्थन करें।