कौवे की चतुराई
एक बहुत बड़ा पीपल का पेड़ था । उस पेड़ पर बहुत से पंछी घोसला बनाकर रहते थे। उसी पेड़ पर एक कौआ भी सपरिवार रहता था।
एक दिन उस पेड़ के आस – पास एक जोकर ने अपने सर्कस का तम्बू लगाया । जोकर बहुत अच्छा जगलिंग करता था। तम्बू लगाते समय पीपल पेड़ की अनेक टहनियों को काट डाला गया । इससे कई पंछियों के घोंसले उजड़ गए । सर्कस के शोर – गुल से उस पेड़ पर रहने वाले पंछियों को परेशानी होने लगी। पूरा वातावरण ध्वनि और वायु प्रदूषण से प्रभावित होने लगा ।
एक दिन कौआ ने एक उपाय सोचा । उसने किसी वरिष्ठ अधिकारी का मोबाइल मौका पाकर चुपके से अपनी चोंच से उठाकर लाया और जोकर के जगलिंग बॉक्स में डाल दिया। पुलिस उस मोबाइल की खोज शुरू की और आधुनिक उपकरण की मदद से अंततः पुलिस उस मोबाइल के स्थान तक पहुंच गई। जोकर के सर्कस के पास पहुंचकर उस बड़े अधिकारी ने जोकर पर चोरी का इलज़ाम लगाया और उसके सर्कस को बंद करने का आदेश दिया ।
इस तरह कौआ की चतुराई से पीपल के पेड़ पर रहने वाले सभी पंछियों को राहत मिल गई। सभी पंछी पूर्ववत पुनः सकून के साथ खुशी – खुशी रहने लगे ।
(यह कहानी मेरे छह साल के बेटे शिवांग के दिमाग की उपज है। जब मैंने उसे कौवे और सांप की कहानी सुनाई, तब उसने उसी समय यह कहानी गढ़कर मुझे सुना दिया ।)
शिक्षा – हम अपनी जरूरतों के लिए वातावरण को गंदा कर रहे हैं , पेड़ों को काट रहे हैं। इससे दूसरे जीव जन्तुओं को परेशानी हो रही है। अतः हमें पर्यावरण के संरक्षण पर गौर करना चाहिए ।

Smita Gupta
Assi. prof.(Hindi)
M. Ed. , Hindi Patrkarita
smita78gupta@gmail.com