थेथर दिल (Thethar dil) By Smita Gupta

हर पल कुछ सोच कर ,
मन ही मन ,
मुस्कुराने को दिल चाहता है ,
सब कुछ कह कर भी,
कभी – कभी ,
कुछ छुपाने को दिल चाहता है
बंद निगाहों से भी ,
हर घड़ी तुम – ही – तुम नजर आते हो
जाने ये क्या हुआ मुझको ,
मीठे सपनों में खो जाने को दिल चाहता है ।
तुम आए हो जीवन में
बारिश की बूंदों की तरह
तन – मन से इसमें
भींग जाने को दिल चाहता है
तुम्हारे ही पास बैठी रहूं ,
चुप रह कर भी ,
अंखियों से बतियाने को दिल चाहता है।
अगर मना लो तुम मुझे प्यार से
हर घड़ी रूठ जाने को दिल चाहता है
तुम जो समेट लो बाहों में ,
टूट कर बिखर जाने को दिल चाहता है ।
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Smita Gupta

Assi. prof.(Hindi)
M. Ed. , Hindi Patrkarita
smita78gupta@gmail.com